" घरों में सास सम्मान देने लगी है , पति चिंता करने लगा है, ये केवल सम्मान नहीं है , ये हमने महिला का सम्मान बढ़ाने का कार्य किया है।" ये कहना है शिवराज सिंह चौहान का जो मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री है, और जिनके दिमाग की उपज है, लाड़ली बहना योजना।यह योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना में से एक है जो सीधे 1.30 करोड़ महिला को लाभान्वित करती है। लाड़ली बहना योजना जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने 28 जनवरी 2023 को घोषित की। और जिसके रजिस्ट्रेशन महिला दिवस (8 मार्च) 2023 के दिन शुरू हुए। आज यह योजना मध्यप्रदेश की 1.30 करोड़ महिला के जीवन में आमूलचूल बदलाव करती दिखती है। लाड़ली बहना योजना मध्यप्रदेश की 21 वर्ष से 60 वर्ष तक की विवाहित महिलाओ को प्रतिमाह 1250 रुपए देने का प्रावधान करती है। हालांकि योजना को 1000 रुपया प्रति माह से शुरु किया गया था, जिसे रक्षाबंधन के समय शिवराज सरकार ने बढ़ा कर 1250 रुपए कर दिया।साथ ही इस योजना की राशि बढ़ाकर 3000 रुपए तक की जाने की बात भी कही गई है। इस योजना को लाने के पीछे उद्देश्य महिला और बच्चो के स्वास्थ्य ,पोषण और स्वालंबन की स्तिथि में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। क्योंकि मध्यप्रदेश में महिला की स्तिथि मानक स्तरों से काफी कम है।NFHS सर्वे 2019 के डाटा के अनुसार मध्यप्रदेश की 23% महिलाओं का बॉडी मास इंडेक्स काफी कम है। 15 से 49 वर्ष की उम्र की 55% महिला एनीमिया से ग्रसित है। मध्यप्रदेश में महिला की रोजगार में भागीदारी ग्रामीण स्तर पर 24% और शहरी स्तर में 14% है। इन सभी स्थिति में सुधार के लिए यह योजना बहुत कारगर साबित हुई है जिसने मध्यप्रदेश की महिलाओं में लगभग एक सालों में पोषण स्तर, महिला स्वावलंबन , स्वरोजगार के लिए लागत , पारिवारिक सम्मान जैसी कई पहलुओं में सुधार ला दिया है। मध्यप्रदेश की महिलाओं से बात करने पर सभी महिलाओं ने अपने अपने जीवन में आए परिवर्तन को साझा किया। जिसमें लगभग हर एक महिला की जिंदगी में आया परिवर्तन दूसरे से अलग होता है, जो यह बतलाता है कि यह योजना कितनी बहुमुखी है। सुषमा जो कि सिंगल मदर है और एक दर्जी के यहां जाकर सिलाई द्वारा अपनी दो बच्ची को पाली है।अब लाड़ली बहना योजना से आए पैसे से खुद की सिलाई मशीन ले ली और खुद का रोजगार शुरू कर दिया। वे बताती है कि धीरे धीरे काम बढ़ा तो उनकी बच्चियों ने भी काम सीख लिया और अब उनके पास 4 मशीन हो गई है। अब जिंदगी में आने वाले पैसा जीवन में संघर्ष को कम किया है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ा है।साथ ही सामाजिक प्रतिष्ठा भी। ऐसे ही उषा जी बताती है कि प्रतिमाह मिलने वाला पैसो से वे अपने पति की मेडिकल जरूरत को पूरा करती है। उनके पति कोयला खदान में काम करते थे जिससे उन्हें सांस की बीमारी हो गई । जिसका इलाज महंगा है, इस पैसे से उन्हें काफी मदद मिल जाती है। वे कहती है कि नागपुर में चल रहे इलाज के कारण उनके पति की स्तिथि में काफी सुधार आया है।जिसके लिए आर्थिक मदद इस योजना से मिल जाती है। सोनम जो 5 साल पहले विवाहित हुई बताती है कि उनके पति बाहर काम करते है समय में पैसे न आने के कारण पहले बच्चे के पोषण में काफी कमी रह गई थी। लेकिन जब उनका दूसरा बच्चा हुआ और इस समय लाडली बहन योजना भी शुरू हुई तो वे इस मिलने वाला पैसा अपने बच्चों के लिए फल ,फूल ,दूधऔर सूखे मेवे जैसे पोषक चीज ले आती है। जिससे यह हुआ की पहले बच्चे और दूसरे बच्चे के पोषण स्तर पर उन्हें साफ प्रभाव दिखाई पड़ता है। इसके साथ ही कुछ महिलाएं मिली जो बताती है कि अब वे अपने बच्चों की कोचिंग का खर्च उठा सकती है। दैनिक खर्चे उठाने के लिए घर में होने वाली लड़ाई कम हुई है ,जिससे पारिवारिक सौहार्द्र बढ़ा है।यह सामाजिक विकास में योगदान करता है। इसी बीच मुस्कान ने एक अनोखा फायदा बताया है कि उनकी सास बैगा पेंटिंग बनाने में उस्ताद है साथ ही स्थानीय गीत भी गाती है। इस योजना के पैसे से मुस्कान ने एक अच्छे कैमरा का मोबाइल खरीदा और सास की रील बनाने लगी अब उनकी सास इंस्टाग्राम सेंसेशन है और सोशल मीडिया के जरिए एक अच्छी कमाई करती है। ये प्रभाव बताते है कि महिला सशक्तिकरण का जो रास्ता आर्थिक रूप सशक्त करने से गुजरता है उसमें यह योजना कितनी प्रभावी होगी।एक महिला के आत्मविश्वास से लेकर परिवार में सम्मान जनक स्तिथि ,तो रोजगार के साधन बनाने से लेकर बच्चों और खुद के पोषण, परिवार और खुद की चिकित्सा सुविधा न जाने कितने पहलू इस योजना ने कवर किए है। इस योजना का लाभ लेने के लिए बहुत आसान प्रक्रिया है जिसमें मध्यप्रदेश की स्थानीय महिला को केवल आधार कार्ड, बैंक खाता और समग्र आईडी के जरिए ई केवाईसी के द्वारा रजिस्टर करवा लाभार्थी की पहचान की गई और उनके बैंक खाता में सीधा पैसा पहुंचा दिया गया। इस योजना ने देश भर में महिला केंद्रित एक नई राजनीति की शुरुआत की है। जिसका प्रभाव निश्चित ही महिला के सामाजिक ,राजनीतिक और आर्थिक सशक्तिकरण में पड़ेगा। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में शुरू हुई इस योजना के बाद भाजपा ने चुनावी जीत के लिए छत्तीसगढ़ में महतारी वंदना योजना के नाम से 15 ,000 रुपए प्रति वर्ष देने की वादा किया जो अब भाजपा सरकार बनने के बाद लागू हो चुकी है जिसका लाभ अब छत्तीसगढ़ की महिलाओं को मिल रहा है ।इसके साथ-साथ दिल्ली सरकार ने भी ऐसी ही एक योजना महिला सम्मान योजना शुरू की जिसमें 18 वर्ष के ऊपर की महिलाओं को ₹1000 दिए जाएंगे। मध्यप्रदेश में लाई गई योजना मध्यप्रदेश सरकार के महिला सशक्तिकरण का एक विजन है जिसकी एक उन्होंने एक श्रृंखला चलाई और योजनाओं के जरिए महिला के आर्थिक बोझ को दूर करते गए। महिला संबंधी योजनाओं की शुरुआत शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के साथ की। सबसे पहले उनके द्वारा उठाया गया कदम लाड़ली लक्ष्मी योजना थी जिसके अंतर्गत यदि किसी घर में लड़की पैदा होती है तो ₹100000 उसके 18 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद मिलते थे।सरकार की इस योजना ने मध्य प्रदेश में स्त्री पुरुष लिंगानुपात में व्यापक परिवर्तन किया जो पहले 912 था आज बढ़कर 956 हो चुका है । इसके पश्चात उन्होंने एक और योजना आरंभ की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना उन्होंने इसके जरिए इस युवतियों की शादी के बाद वित्तीय सहायता के लिए 15000 रुपए दिए जाते है।जिसका प्रभाव यह पड़ा की माता पिता को लड़की के विवाह के लिए पैसे जोड़ने की मजबूरी में कमी आई और वे शिक्षा में खर्च करने लगे। इसके पश्चात मध्यप्रदेश सरकार ने बालिका शिक्षा बढ़ाने के लिए उन्होंने एक योजना शुरू की थी जिस पर गांव की बेटियों को साइकिल मुहैया की जाती थी ताकि वे स्कूल पढ़ने जा सकें।यह स्कूली शिक्षा बढ़ाने का कदम था। और उसके पश्चात उन्होंने एक और योजना लाई जो कि स्नातक शिक्षा में महिला की संख्या बढ़ाने के लिए थी जिसका नाम है "गांव की बेटी योजना"। जिसमें कॉलेज जाने वाली बेटी को ₹500 रुपए प्रति माह दिए जाते है। जिससे स्नातक में युवतियों के प्रवेश में बढ़ोतरी होती है साथ ही उनकी शादी की उम्र भी बढ़ती है।जिसका महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है । साथ-साथ देश विकास में महिलाओं की भागीदारी में इजाफा होता है। शिक्षा के बाद शादी और फिर ससुराल में खुद का खर्चा पूरा करने के लिए, खुद का रोजगार आरंभ करने के लिए और महिला को स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार ने एक लाडली बहन योजना शुरू की। इस तरीके से एक गरीब घर की महिला का जन्म से लेकर उनके पूरे जीवनकाल तक पूरा खर्च उठाने का जिम्मा मध्य प्रदेश सरकार ने उठाया है जिसका महिला सशक्तिकरण पर व्यापक प्रभाव पड़ा है और महिलाओं की स्थिति में सुधार आया है। मध्यप्रदेश सरकार का ये कार्य महिला विकास की पुस्तकी परिभाषा को वास्तव में चरितार्थ करते दिखता है। जो एक महिला के पूरे जीवनकाल के कठिन समय को जो कि संघर्ष का कारण रहा है और समानता के लिए मुद्दा के प्रत्येक पक्ष को योजनाओं के माध्यम से बखूबी साधा गया है।
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मध्यप्रदेश : महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश करता राज्य।
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