Story

प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि: एक कदम परिवर्तन की ओर।

Story

प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि: एक कदम परिवर्तन की ओर।

“सरकार पैसा भेज दी है, जा बार उधारी की जरूरत नहीं है , रमा बाई” यह सुनने मिला एक गांव में एक किसान और उसकी पत्नी की बातचीत में। यह पैसा जिसकी बात हो रही थी वह थी ,” पीएम किसान सम्मान निधि” और उधारी जो ली जाती थी बीज ,उर्वरक जैसी खरीद के लिए। पीएम किसान सम्मान निधि योजना जिसकी शुरुआत के पीछे उद्देश्य था, “किसानों की आय दुगुना कर देना।“ पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में हुई।कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत 1 फरवरी 2019 से योजना को शुरू किया गया,जिसका उद्देश्य भूमि धारक किसानो को वित्तीय सहायता के साथ साथ इनकी आय दोगुनी करना था।इस योजना के अंतर्गत किसानों को 3 किस्तों में 6000 रुपए प्रतिवर्ष दिए जाते है।योजना, केंद्रीय क्षेत्रक योजना है। जिसका अर्थ है कि इसका संपूर्ण खर्च का वहन केंद्र के द्वारा किया जाना है। किसानों के खाते में सीधे हस्तांतरित होने वाली यह रकम प्रतिवर्ष केंद्र के बजट का 75 हजार करोड़ का व्यय करती है। जब प्रधानमंत्री जी ने पहली बार इस योजना की किस्तों का वितरण किया था उस समय किसानों की संख्या मात्र 1 करोड़ थी। जबकि आज योजना के 5 वर्षो के बाद 28 फरवरी को प्रधानमंत्री ने 16वीं किस्त का हस्तांतरण किया जब तक किसानों की संख्या बढ़कर 9 करोड़ हो गई है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी किसानों की पहचान राज्य सरकारों द्वारा की जानी है।इनमे में वे छोटे मध्यम किसान शामिल है जिनके पास खेती करने योग्य भूमि है। योजना के लाभार्थी किसानों के पास आधार कार्ड,स्थानीय निवासी,भूमि दस्तावेज और बैंक खाते का होना जरूरी होता है। इस योजना के बारे में ग्रामीण सुदूर इलाकों में जाकर किसानों से बात की। जिससे इस योजना के प्रभाव को आंका जा सके । मध्यप्रदेश के मंडला में स्तिथ एक छोटे से गांव काता के छोटे किसान गेंदलाल बताते है कि “ सम्मान निधि से आने वाला पैसा बुआई के सीजन के समय बीज , खाद , यूरिया खरीदने में बहुत सहयोग कर देता है। इसके पहले हम इनकी खरीद सोसायटी से करते थे जो उधारी में ले आया करते थे जिसे कई बार न पटा पाने के कारण ब्याज बढ़ता जाता था।और रकम बढ़ती जाती।लेकिन इस योजना के बाद हम सही समय में बीज इत्यादि नकदी खरीद लेते है और कर्जा भी नहीं होता।“ हमने उनके बाद धनेश से बात की वे बताते है ,” बीज, खाद और मजदूरी में जेब से लगने वाले पैसे में कमी आई जिसका उपयोग अब वे बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने और कोचिंग में करने लगा सकते है। वे कहते है की बेटी डॉक्टर बनना चाहती है इस योजना से ये फायदा हुआ है कि अब कर्जा कम हुआ है साथ ही खर्चा जिससे अब वो उसके सपनों को पूरा करने सहयोग कर रहे है।“ इस योजना के व्यापक प्रभाव के अध्ययन में सामने आया कि इस योजना ने समावेशी विकास को बढ़ाया है।किसानों के कर्ज में कमी आई है साथ ही अब ज्यादा ब्याज दरों में मिलने वाले साहूकारों के ऋण के चंगुल से भी किसानों को आजादी मिली है। सही समय में किस्त पहुंचने के फायदे ये हुए है कि समय में बुवाई , कटाई हो जाती है जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है साथ ही फसल अपव्यय में कमी आई है। योजना ने खेती को प्रोत्साहनकारी, विविधीकरण से भरपूर,प्रतिस्पर्धी और उत्पादनकारी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही लोन माफी के विवादित निर्णयों के सामने एक अच्छा विकल्प प्रस्तुत किया है। किसान सम्मान निधि की अंतरराष्ट्रीय संगठनो ने जमकर तारीफ की , जिसमें वर्ल्ड बैंक भी शामिल है। एक संस्था IFPRI ने इस योजना के प्रभाव का अध्ययन उत्तरप्रदेश के गांवों में जाकर किया। तो पाया कि किसान इसका प्रयोग खेती के लिए उपकरण, बीज , कीटनाशक और उर्वरक खरीदने में करते है। साथ ही बचे पैसे जो कि ऑफ सीजन में आते है का घरेलू उपयोग में प्रयोग कर लिया जाता है। उनकी रिपोर्ट बताती है कि 3300 रुपए खेती के लिए तो 2700 रुपए घरेलू खर्चों जैसे शिक्षा , चिकित्सा में उपयोग किए जाते है। खेती में किए जाने वाले निवेश 3300 रुपए में 5180 रुपए प्रति हेक्टेयर रिटर्न आता है। इस योजना के लिए सरकार ने पीएम किसान पोर्टल शुरू किया है जिसमें 24 घंटे किसानों की समस्या का समाधान किया जाता है साथ ही उनके आवेदन की स्तिथि क्या है को जानने के लिए ,पंजीकरण में आसानी के लिए खोला गया है।किसान ई मित्र जो कि एआई चैटबोट है को सवालों जवाब के लिए बनाया गया है। किसान सर्विस सेंटर खोले गए है। ताकि अधिक से अधिक किसानों की समस्या का समाधान हो सके और योजना का लाभ उन तक पहुंच सके। हालांकि यह योजना तेलंगाना में चल रही रायथू बंधु से प्रेरणा ली मानी जाती है।लेकिन जब यह केंद्र द्वारा लागू की गई तो देश के कई राज्यों ने इस तरह की योजना को लागू किया जिसमें ओडिशा सरकार ने कालिया योजना शुरू की जिसमें 5000 रुपए प्रति हेक्टेयर किसानों को दिया जाता है। आंध्रप्रदेश सरकार ने अन्नदाता सुखभाव योजना शुरू की जिसमें 9000 रुपए किसानों को दिए जाते है। इसी तरह मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की गई जिसमें 4000 रुपए दिए जाते है। ये सहायता 6000 के बाद दी जाने वाली राशि के बाद सहायता है। जिसने इन प्रदेशों में किसान की स्तिथि में सुधार किया है। किसानों की आय दुगुना करने के उद्देश्य से लाई गई यह योजना ने किसानों में आत्मविश्वास भरा है।लेकिन अभी भी 5.1 करोड़ किसान इससे बाहर है जो कि आधार कार्ड,बैंक खाते ना होने, भूमि रिकॉर्ड न होने के कारण योग्य होते हुए भी बाहर है।सरकार को इन खाइयों को पाटने के लिए काम करना चाहिए। इनके साथ एक बड़ा वर्ग जो कि जमीन का मालिकाना हक तो नही रखता लेकिन बंटाई, ठेके में खेती करने वाला खेतिहर मजदूर है वो इस लाभ से वंचित है। ऐसी स्थिति में इन्हे भी संगठित कर कृषि के समावेशी विकास के लिए इन्हें भी शामिल किया जाना आवश्यक है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना ने पिछले 5 सालों में किसान की आर्थिक स्थिति को सुधारने काफी मदद की है खेती के लिए लगने वाली लागत में होने वाली माथापच्ची को योजना ने एक नए धागे की गड्डी जैसे सुलझा दिया है।साथ ही ब्याज कर्ज में जाने वाला पैसा अब शिक्षा स्वास्थ्य में प्रयोग होने लगा है जिससे कई पहलू सधते नजर आ रहे है जिससे ग्रामीण विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।साथ ही किसान की आय में सुधार हुआ फसल की उत्पादकता बढ़ी तो कृषि से सहायक गतिविधियों का भी विकास हुआ है। इस प्रकार यह योजना भारतीय कृषि सुधारों में एक ऐसा प्रकाश स्तंभ बन गई है जिसकी रोशनी भविष्य में लिखे जाने वाले इतिहास में एक अलग चमक बिखरे की जिसने किसानों की जिंदगी में एक नई रोशनी दे दी।

Write a comment ...

harshit chourasia

।जान रहे है,खुद को धीरे धीरे, मद्धम मद्धम।