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मध्यप्रदेश में पहले चरण का जोरशोर शुरू।

मध्यप्रदेश में 4 चरणों में चुनाव है। पहले चरण के चुनाव 19 अप्रैल को होंगे। इसके लिए प्रत्याशियों ने नामांकन 27 मार्च तक दाखिल कर दिए है।अब चुनावी प्रचार अपने चरम पर है। पहले चरण में मध्यप्रदेश की 6 सीटों में चुनाव है। जिनमें कुल 88 प्रत्याशी संसद जाने के लिए मैदान में उतर चुके है।यह सीटें अधिकतर पूर्वी मध्य प्रदेश की है। जिनमें मंडला बालाघाट जबलपुर सीधी शहडोल और छिंदवाड़ा शामिल है।

विधानसभा सीटों के हिसाब से देखा जाए तो मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में मैं कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है जो कि भाजपा की लहर के बीच में आया था। लेकिन छिंदवाड़ा को छोड़ दे तो मंडला और बालाघाट की सीट लोकसभा में भाजपा के पाले में जाते दिखती है।

मध्यप्रदेश की 4 सीटों में मामला में त्रिकोणीय होता दिख रहा है। बालाघाट में अनुभा मुंजारे के पति को कांग्रेस से टिकट नहीं मिली है अब वे बसपा की टिकट से चुनाव लड़ रहे है और मजबूती के साथ कांग्रेस के सम्राट सारस्वत और भाजपा की भारती पारधी को टक्कर देते नजर आएंगे। जिसमें ज्यादा नुकसान कांग्रेस को होता दिख रहा है।क्योंकि कांग्रेस की ओर से कंकर 1 बार सांसद और 3 बार विधायक रह चुके है।

आदिवासी बाहुल्य इलाके मंडला और छिंदवाड़ा में गोडवाना गणतंत्र पार्टी ने दोनो पार्टी के नाक में दम कर रखा है।

छिंदवाड़ा की सीट इस लोकसभा में मध्यप्रदेश की सबसे चर्चा में है। इसके पीछे दो कारण है, पहला तो यह कि वर्तमान में 29 में से एकमात्र सीट ही कांग्रेस के पास है और दूसरा यह कि नकुलनाथ और कमलनाथ की बीजेपी में जाने की हलचल तेज थी। वे गए तो नहीं लेकिन उनके आधार को मजबूत करने वाले विधायक , नगर के मेयर , पंचायत सरपंच और जिला के अध्यक्ष जैसे स्थानीय नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। कमलनाथ के पास अब जनता का प्यार ही है जिसके साथ वे अपने लड़के नकुलनाथ को जीत दिला सकते है। उनकी बेटी प्रचार में यह भावनात्मक अपील भी करती नजर आ रही है कि "इन कठिन परिस्थिति में छिंदवाड़ा की जनता ही हमारा साथ दे सकती है, जब सबने मेरे पिता का साथ छोड़ दिया है।"नकुलनाथ और भाजपा के बंटी साहू के सामने गोंगपा के प्रत्याशी देवीराम भलावी भी दोनो को हराने या कम से कम समीकरण बिगाड़ देने का माद्दा रखते है।

मंडला में फग्गन सिंह कुलस्ते 7 वी बार सांसद बनने मैदान में है तो ओमकार सिंह धुर्वे जो 4 बार विधायक है पहली बार दिल्ली जाने भरकम प्रयास करते नजर आ रहे है। कुलस्ते के साथ एंटी इनकंबेंसी है तो मोदी के नाम का फायदा भी क्योंकि मंडला का विकास करते वे नजर तो बिल्कुल भी नहीं आए। जबकि ओमकार सिंह मरकाम की साफ छवि और 8 विधानसभा में से 5 कांग्रेस के पास होना सकारात्मक संकेत हो सकता है।लेकिन दोनो के गणित को बिगाड़ने तैयार बैठे है गोगपा के महेश वट्टी जो साहित्यकार, फिल्मकार है साथ ही आदिवासी जनता के बीच गहरी पैठ रखते है।

चौथी सीट जो त्रिकोणीय है वह है सीधी यहां गोंगपा की तरफ से अजय प्रताप सिंह मैदान में है जो कि भाजपा की और से सांसदी का टिकट ढूंढ रहे थे।अजय भाजपा की ओर से राज्यसभा रह चुके है। कांग्रेस यहां कमलेश्वर पटेल को तो भाजपा ने राजेश मिश्रा को टिकट दिया है।सीधी की सीट आदिवासी के साथ साथ ठाकुर ,ब्राह्मण के प्रभाव से प्रभावित है।हालांकि यह भाजपा का गढ़ है अभी 8 में से 7 विधानसभा सीट भाजपा के पास है।भाजपा का यहां गणित ज्यादा मजबूत है।

जबलपुर की बात करें तो यहां दोनो प्रत्याशी नए है।भाजपा की तरफ से आशीष दुबे तो कांग्रेस की तरफ से दिनेश यादव एक दूसरे से दो दो हाथ करेंगे।पूर्व सांसद जबलपुर लखन सिंह घनघोरिया का नामांकन निरस्त हो गया है यदि वे मैदान में होते तो यहां भी मामला त्रिकोणीय हो सकता था।

शहडोल की सीट फुंडेलाल मार्को कांग्रेस या भाजपा की हिमाद्रि सिंह में से एक किसी एक की ओर जाती नजर आ रही है।फुंडेलाल अभी विधायक है तो हिमाद्रि सिंह सांसद। लेकिन शहडोल में कांग्रेस अंदरूनी फूट से परेशान है तो भाजपा बड़े नेताओं के रैलियों से काफी मजबूत।

मध्यप्रदेश में 6 सीट पर 19 अप्रैल को वोट डाल दिए जाएंगे । कांग्रेस यदि कहीं बच सकती है तो इन्हीं सीटों से उम्मीद है।

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harshit chourasia

।जान रहे है,खुद को धीरे धीरे, मद्धम मद्धम।