7,17,25,30 नवंबर को होंगे चुनाव,03 दिसंबर को होगी नतीजों की घोषणा।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 5 राज्यों के चुनावी कार्यक्रम की घोषणा की।छत्तीसगढ़ में 2 चरणों में चुनाव 7 और 17 नवंबर को वहीं अन्य सभी 4 राज्यों में एक चरण जिनमें मिजोरम में 7 नवंबर, मध्यप्रदेश 17 नवंबर , राजस्थान 25 नवंबर ( संशोधित) ,तेलंगाना 30 नवंबर को चुनाव का आयोजन किया जाएगा और सभी राज्यों के नतीजों की घोषणा 3 दिसंबर को की जाएगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि पांचों राज्यों को मिलाकर कुल 679 सीटों में ,16 करोड़ वोटर्स है जिनमे 8.2 करोड़ पुरुष और 7.8 करोड़ महिला वोटर्स हे, इनमे 60.2 लाख नए वोटर्स जुड़े हैं
जो 179356 पोलिंग स्टेशन में वोट डालेंगे इनमे से 621 पोलिंग स्टेशन दिव्यांग द्वारा संचालित होंगे।
साथ ही चुनाव आयोग ने 31 अक्टूबर तक सभी राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदे की जानकारी प्रदान करने की गाइडलाइन भी जारी की है।
छत्तीसगढ़ राज्य
90 सीटों के इस राज्य में 10 सीटें अनुसूचित जाति 29 सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है
वर्तमान में कांग्रेस यहां 71 सीटों के साथ सरकार में हे जिसके मुखिया भूपेश बघेल है।
3 जनवरी 2024 को वर्तमान विधानसभा का अंतिम दिन होगा ।
नई विधानसभा चुनाव के लिए 2.3 करोड़ वोटर्स जिनमे महिला वोटर्स का मतबल ज्यादा हे 7 व 17 नवंबर को वोट देने तैयार हैं।
मिजोरम
40 सीटों के इस राज्य में 39 सीटें अनुसूचित जनजाति के राज्य के आरक्षित हैं,वर्तमान मुख्यमंत्री जोरामथंगा मिजो नेशनल फ्रंट के है जो 28 सीटों के साथ बहुमत में हे यहां 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 5 और बीजेपी को 1 सीट प्राप्त हुई।
8.5 लाख वोटर्स में महिला वोटर्स की संख्या पुरुष से ज्यादा हे।
मध्यप्रदेश
230 विधानसभा सीटों का राज्य दलबदल के कारण चर्चित रहा हे 2018 चुनाव उपरांत 114 सीटे कांग्रेस ने जीती और निर्दलीय एवम सपा के विधायक के सहयोग से सरकार बनाई किंतु यह 1.5 साल ही चल सकी ,आंतरिक मतभेद के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया 22 विधायकों को साथ ले बीजेपी को समर्थन दे दिया,इस प्रकार बीजेपी ने सरकार बनाई वर्तमान में 127 सीटों के साथ बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार चला रही हैं वहीं 96 सीटो के साथ कांग्रेस विपक्ष है।
6 जनवरी 2024 को विधानसभा का विघटन होगा इसलिए राज्य में 17 नवंबर को 5.6 करोड़ वोटर्स अपने मत का प्रयोग करते नजर आएंगे।
अनुसूचित जनजाति के लिए 47 सीट तो अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटे आरक्षित हैं।
राजस्थान
200 सीटों का यह राज्य 25 सालो से हर बार सरकार परिवर्तन करता आया है इस बार 5.25 करोड़ वोटर्स 25 नवंबर को वोट देते नजर आएंगे।
वर्तमान में कांग्रेस सरकार 108 सीटों के साथअशोक गहलोत के नेतृत्व में शासन में हे।
राज्य की 34 सीटे अनुसूचित जाति और 25 सीटे अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
तेलंगाना
भारतीय राष्ट्र समिति के सी आर मुख्यमंत्री हैं जो 119 सीटो के इस राज्य में 2018 में 101 सीट के प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी।
यह राज्य अनुसूचित जाति के लिए 19 तो अनुसूचित जनजाति के लिए 12 सीटे आरक्षित रखता है।
राज्य के 3.17 वोटर्स 30 नवंबर को चुनावी बटन दबाने का इंतजार कर रहे हैं।
चुनावी तारीखों की घोषणा बाद कुछ जेपी नड्डा व कांग्रेस पार्टी के x (ट्विटर) की पोस्ट
कांग्रेस
छत्तीसगढ़ ,मध्यप्रदेश,मिजोरम,राजस्थान,तेलंगाना के चुनाव तारीखों की घोषणा हो चुकी हैं।
कांग्रेस पर जनता के समर्थन और विश्वास वो बूते हम इन सभी राज्यों में भरी बहुमत से जीत दर्ज करेंगे।
ये किसानों,महिला,मजदूरों,युवाओं के अधिकारों की जीत होगी।
जेपी नड्डा
चुनाव आयोग द्वारा घोषित चुनावो का स्वागत करता हूं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भाजपा भरी बहुमत से सभी राज्यों में सरकार बनाएगी और आगामी 5 वर्षो के लिए जन आकांक्षा की पूर्ति हेतु कटिबद्ध रहेगी।
"कुंभ के स्थान में चल रहा सियासी स्नान"
गंगा यमुना का संगम प्रयागराज, भारत के अध्यात्म को पोषित करता है।देश की इस आध्यात्मिक नगरी में 25 मई को लोकसभा चुनाव के मतदान होने है।इस समय प्रयागराज में राजनीतिक पारा आसमान छू रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिवेणी संगम में हाल ही में भाषण में कहा कि "समाजवादी पार्टी और कांग्रेस विकास विरोधी हैं ।दोनों पार्टी को कुंभ से ज्यादा अपने वोट बैंक की चिंता है। " प्रयागराज में कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी और अखिलेश यादव की संयुक्त सभा आयोजित की गई थी जिसमें इतनी भीड़ जुट गई थी कि भीड़ बैरिकेड तोड़कर भाषण देते अखिलेश यादव तक पहुंच गई ऐसी स्थिति में सुरक्षा की दृष्टि से दोनों नेताओं को बगैर भाषण दिए ही वापस लौटना पड़ा। प्रयागराज ,देश की सबसे हॉट और चर्चित सीटों में से एक रही है।यह सीट राजर्षि के नाम से मशहूर भारत रत्न से सम्मानित पुरुषोत्तम दास टंडन की सीट है, जो इस सीट से पहले सांसद थे। यह देश को लाल बहादुर शास्त्री और वीपी सिंह के रूप में प्रधानमंत्री दे चुकी है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हेमवती नंदन बहुगुणा इस सीट से चुनाव लड़ चुके है।यह सीट देश के सबसे महानतम अभिनेता अमिताभ बच्चन की सीट रही है। साथ ही अपने समय में समाजवादी विचारधारा के कारण छोटे लोहिया के नाम से जाने जाने वाले ज्ञानेश्वर मिश्र तो भाजपा के संस्थापक सदस्य मुरली मनोहर जोशी भी सीट में अपनी सेवा दे चुके है।आज इन ऐतिहासिक व्यक्तियों की सीट में सेवा देने की जिम्मेदारी लेने के लिए कांग्रेस की ओर से उज्जवल रमण सिंह( पूर्व सांसद रेवती रमन सिंह के पुत्र हैं ) , भाजपा के नीरज त्रिपाठी से मुकाबले में हैं।इस बार भाजपा ने रीता लाल बहुगुणा जो मौजूदा सांसद है कि टिकट काटकर नीरज त्रिपाठी को दी है। प्रयागराज की इस लोकसभा सीट में पांच विधानसभाएं मेजा , करछाना ,इलाहाबाद साउथ , बारा और कोरांव है।जिसमें तीन में भाजपा और एक में समाजवादी पार्टी के विधायक विधानसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं साथ ही एक सीट में अपना दल का विधायक है। ऐसे में भाजपा यहां मजबूत नजर आती है। इलाहाबाद की सीट में 18 लाख मतदाता है।जिनमें से 6 लाख ब्राह्मण और मल्लाह वोट राजनीति की दिशा दशा तय करते हैं अब तक यहां पर उच्च जातियों से ही सांसद चुनते आए हैं ।2 लाख पटेल वर्ग के वोट हैं जो कि भाजपा का समर्थक वर्ग है । इस सीट पर 3 लाख अनुसूचित जाति के वोट हैं जो कि बसपा के कोर वोटर्स माने जाते हैं लेकिन इस बार बसपा के कमजोर होने से यह वोट जिस ओर जाएंगे वहां गणित बदल सकती है। सीट के इतिहास की बात करें तो 2009 में समाजवादी पार्टी के कुंवर रमन सिंह ने 38% के लगभग वोट शेयर लेकर बसपा के अशोक वाजपेई को हराया था।जिनके पास लगभग 31% वोट प्रतिशत था । 2009 में 43.51% लोगों ने वोट डाला था जो कि 2014 में बढ़कर 53.5% तक पहुंचा था जिसने वोट स्विंग में एक बड़ी भूमिका निभाई और 2014 के चुनाव में भाजपा ने +24 प्रतिशत वोट स्विंग प्राप्त कर 2009 के11% वोट शेयर से उठकर 35% के लगभग पहुंच गई ।इसमें समाजवादी पार्टी को लगभग 8% का नुकसान हुआ था और वह दूसरे नंबर पर रही। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को फिर + 20% का वोट स्विंग प्राप्त हुआ और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर लगभग 55% के आसपास चला गया। इस प्रकार भाजपा पिछले 15 सालों में 11% से बढ़कर 55% वोट शेयर तक पहुंच गई है। जो भाजपा के इस सीट पर मजबूती को दर्शाता है। लेकिन इस बार सपा और कांग्रेस का सम्मिलित वोट बैंक भाजपा के लिए चुनौती खड़ी करता नजर आ रहा है , क्योंकि सपा के बड़े पटेल नेता कांग्रेस की ओर से खड़े उज्जवल रमण सिंह को भरपूर सहयोग दे रहे है साथ ही बसपा का वोट यदि आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के पास आता है ,तो यह भाजपा के लिए सिर दर्द साबित हो सकता है। राहुल अखिलेश की जनसभा में उमड़ी भीड़ भी जन समर्थन का एक संकेत है।
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