विराट:क्रिकेट का सम्राट

बल्ले को कंधे में रख विराट जब मैदान में जब उतरते है तो उनकी नाम की गूंज ऐसे लगती है मानो किसी ऐतिहासिक राजा की जयकार का उदघोष हो रहा हो। जब हारे हुए मैच को विराट अपनी बाजुओं के दम से पलटते है तो लगता है सेनापति की तरह विरोधियों को अपने सामने समर्पित कर रहे है। जब दूसरे देशों में जाकर अपने बल्ले  का जौहर दिखाते है तो दुनिया को कायल कर एक विश्वविजेता  चक्रवर्ती सम्राट के रूप में खुद को स्थापित करते हैं। फिटनेस सुधार का नेतृत्व कर फिटनेस मानक स्थापित करते  है तो लगता है कि एक राजा अपनी सैन्य कुशलता के पैमाने स्थापित कर रहा है  और भारत को विश्व फतेह की ओर अग्रसर कर रहा है।जब वे मैदान में दिखते है तो उसकी झलकियां देखने क्रिकेट प्रेमी जनता ठीक वैसे ही हो जाती है जैसे झरोखे से अपने राजा के दर्शन करने प्रजा।
राजा राजा यूं ही नहीं बन जाता ।संघर्ष, त्याग और कड़ी तपस्या कर  एक सामान्य क्रिकेटर से क्रिकेट के राजा का सफर करने में विराट की पहली अग्नि परीक्षा दिल्ली के रणजी ट्रॉफी मैच में हुई  जब पिताजी को अग्नि दे मैच में वापस आ विराट ने पिछड़ी हुई दिल्ली टीम को वापस मैच में रफ्तार दी ।यह सिलसिला आगे बढ़ा और अंदर-19 का कप्तान बने विराट ने अपने बैखौफ और बैबाक अंदाज से अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत को अंडर-19 विश्व कप दिलाया। इसी समय क्रिकेट की गलियों में सुगबुगाहट होने लगी थी कि क्रिकेट के भगवान  (सचिन)की परछाई भारतीय क्रिकेट के एक युवा खिलाड़ी में दिखने लगी है। सचिन से जब पूछा गया कि" कोई है जो आपके बराबर भी पहुंच सकता है" तो सचिन ने कहा कि" इसी कमरे में बैठा विराट मेरे से भी आगे जाएगा" जो आज चरितार्थ होते दिख रहा है।
विराट के युद्ध रूपी मैच जिताने की कहानी एक दो नहीं बल्कि शूरवीर राजाओं की युद्ध विजय जैसी न जाने कितनी है। युवावस्था में ही 2011 के फाइनल में भारत के सचिन, सहवाग जैसे धुरंधर योद्धा के आउट होने के बाद जब मैच  विकट परिस्थितियों में फंसा था तब विराट ने युवा कंधो में जिम्मेदारी  संभाली और भारतीय सेना  को एक संतुलित स्तिथि  तक पहुंचाया यह छोटा सा कैमियो भारत को दूसरी बार वर्ल्ड कप जिताने में काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ। युवावस्था की  एक और विजय कहानी ऐसी है कि ऑस्ट्रेलिया में जब त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में पहुंचने भारत को 37 ओवर में जीत दर्ज करनी थी तो विराट ने 86 बॉल में 133 रन बना अपने बलबूते मैच जीता दिया।इन पारियों की बदौलत अब वह बड़े मंच में पूर्णतया स्थापित हो चुका था।
सचिन ,सहवाग, गंभीर, युवराज जैसे वरिष्ठ दिग्गज योद्धाओं के टीम में न होने के बाद विराट को धोनी के नेतृत्व में  उपसेनापति की नई जिम्मेदारी मिली।अब भारतीय सेना के बल्लेबाजी का  सारा दारोमदार  विराट पर आ गया ।विराट ने जिम्मेदारी  दिखाते हुए कुछ बेहद यादगार  पारियां खेली  2014 टी 20 वर्ल्ड कप फाइनल, 2013 चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में अकेले ही विराट ने आधे से ज्यादा रन बनाए इसमें भारत 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में कामयाब रही।
कारवां आगे बढ़ा अब विराट को उप सेनापति  से सेनापति के रूप में स्थापित होने का समय आया, जब धोनी ने टेस्ट कप्तानी छोड़कर जब नेतृत्व विराट को सौपा ।विराट एक ऐसा कप्तान बना जो विदेशी पिचों में जाने से पहले इंडिया को हारा  घोषित करने वाले क्रिकेट के जानकारो को यह कहने मजबूर कर दिया कि यह विराट की सेना घर में भी सर्वश्रेष्ठ है और विदेशों  में भी  जीतने की पहली  दावेदार। आंकड़े बताते हैं की 58.8 प्रतिशत टेस्ट जीत के साथ विराट भारत के सर्वश्रेष्ठ टेस्ट कप्तान है। विराट की कप्तानी में भारत सेना देशों जहां मेहमान टीमों को सीरीज जीतना मुश्किल होता है वहां ऑस्ट्रेलिया को भारत ने दो बार सीरीज  जाकर हराया तो वहीं को इंग्लैंड 2-1 से हराया हालांकि सीरीज का अंतिम मैच हारने  जो बुमराह की कप्तानी में खेला गया  के कारण सीरीज ड्रा रही। इस दौर की सबसे बड़ी बात यह रही की विदेशी धरती में हम हारे भी  वहां पर विपक्षी की नाक में दम कर दिया ।कप्तानी के इस दौर में विराट ने टेस्ट में चार दोहरे शतक एक ही साल लगा दिए,जो अब तक एक अनूठा रिकॉर्ड है।
बात टी20 की करें तो  विराट 2014 और 2016 के टी20 वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द सीरीज रहे। 2016 में आई एक पारी जब भारत को सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करना था और ऑस्ट्रेलिया ने लगभग भारत को बाहर कर दिया था ऐसे समय में विराट ने 51 बॉल में 82 रनो की पारी खेल भारत को विजय दिलाई और बन गए किंग कोहली। यह  वही मैच था जब विराट ने सचिन के सामने नतमस्तक होकर अपने सम्मान का इज़हार किया था।
जैसे हर इंसान हो या बादशाह का एक बुरा दौर आता है विराट का भी आया जब  2019 वर्ल्डकप सेमीफाइनल में भारत की हार हुई।इसके बाद 3 साल तक उनके बल्ले से शतक नही आया ।इसी दौरान क्रिकेट महकमो और पंडितो ने उन्हें सन्यास की राय देने शुरू कर दी। यहां साथ मिला उन्हें उनके फैंस का ।
लेकिन बुरे समय की काली रात कब तक रहती एक शानदार सुबह होनी ही थी ।कोहली और बल्ले की जुगलबंदी कब तक दूर रहती एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ आए शतक से  यह जुगलबंदी फिर शुरू हुई और राजा फिर राज करने तैयार हुआ।इसके बाद एक से एक कहानियां अपने राजपाठ में जोड़ दी । जिसमे सबसे बड़ी कहानी धुर विरोधी पाकिस्तान के खिलाफ थी जो 2022 टी 20 वर्ल्ड कप में आई  जब 160 रनो के लक्ष्य का पीछा करते भारतीय टीम का स्कोर 31/4 था और हार का संकट मंडरा रहा था उस समय फिर सबकी नजर अपने क्रिकेट सम्राट विराट पर टिक गई विराट ने फैंस के विश्वास को बनाया और अपने बल्ले से अपनी गाथा में एक और अध्याय जोड़ दिया इस मैच में हरिस राउफ को मारा एक छक्का आज भी क्रिकेटप्रेमी के दिलो में राज करता है इसी शॉट को आईसीसी ने  शताब्दी में टी20 का बेस्ट शॉट का दर्जा भी दे दिया।
विराट का प्रचंड फॉर्म जारी था और क्रिकेट के महाकुंभ वर्ल्ड कप का दरबार 2023 में   भारत में  सजा था , इसे जीतने बेताब किंग कोहली ने पहले ही मैच में अपने अंदाज स्पष्ट कर दिए थे जब  ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200 रनो के लक्ष्य का पीछा करती भारतीय टीम का स्कोर 0/3 था, फिर आए विराट ने अकेले दम पर ऑस्ट्रेलिया जैसी खूंखार सेना से जीत छीन भारत की झोली में डाल दी। फिर   साथ अफ्रीका के खिलाफ ईडन गार्डेन में 49वा शतक लगाया जहां उन्होंने शतक की यात्रा शुरू की थी और इसी के साथ उन्होंने बराबरी कर ली थी क्रिकेट के  भगवान सचिन तेंदुलकर के 49 शतको की। सिलसिला रुका नही सेमीफाइनल के बड़े मंच में जहां भारत लगातार चोक करती आ रही थी ऐसी स्थिति में न्यूजीलैंड के खिलाफ सचिन तेंदुलकर के होम ग्राउंड में क्रिकेट के भगवान के सामने ही उन्होंने 50वा शतक लगा उनका रिकॉर्ड तोड़  उन्हें नमन किया और भारत को फाइनल पहुंचाया।हालांकि एक और वर्ल्ड कप जीतने का किंग का सपना ऑस्ट्रेलिया के विजेताओं ने फाइनल में तोड़ दिया । लेकिन वे 765 रन बना वर्ल्डकप टॉप स्कोरर रहे  साथ ही वर्ल्डकप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी।
क्रिकेट का यह राजा अपने व्यक्तित्व ,करिश्माई चेहरे, मैदान में अपने व्यवहार, गर्मीले अंदाज, बेबाक बोल से सबको आकर्षित करता है।राजाओं के इतिहास जैसे ही  क्रिकेट के इस सम्राट की कहानी को भी आने वाले समय में बहुतेरे कवियों , भाटो द्वारा गाया जाएगा।

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harshit chourasia

।जान रहे है,खुद को धीरे धीरे, मद्धम मद्धम।